➤ सरकारी भवनों की बढ़ती ऊर्जा खपत पर सरकार सख्त, व्यापक ऊर्जा ऑडिट अनिवार्य
➤ निजी कंपनियों व कंसल्टेंसी फर्मों से विस्तृत ऊर्जा ऑडिट के लिए मांगे प्रस्ताव
➤ ऊर्जा बचत उपायों, लागत, संभावित बचत और पुनर्भुगतान अवधि की बनेगी विस्तृत रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी भवनों में बढ़ती ऊर्जा खपत और हर साल बढ़ते बिजली व्यय को लेकर अब बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने सभी प्रमुख कार्यालयों और संस्थानों में विस्तृत ऊर्जा ऑडिट करवाने का निर्णय लिया है। इसके लिए ऊर्जा निदेशालय ने निजी कंपनियों व कंसल्टेंसी फर्मों से प्रस्ताव मांगे हैं।
ऊर्जा निदेशालय के अनुसार इस पहल का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा अपव्यय को रोकना, पुराने ढांचों और गैर-दक्ष उपकरणों से हो रही अतिरिक्त खपत को कम करना और भवनों को अधिक ऊर्जा दक्ष बनाना है। चयनित कंपनियों को हर भवन का विस्तृत ऊर्जा ऑडिट, उसमें हो रहे अपव्यय की पहचान, तथा कम लागत वाले व्यावहारिक ऊर्जा संरक्षण उपाय तैयार करने होंगे।
हर सरकारी भवन की टेक्नो-इकोनॉमिक फिजीबिलिटी रिपोर्ट भी बनाई जाएगी, जिसमें
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प्रस्तावित सुधारों की व्यवहार्यता
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अनुमानित बचत
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निवेश लागत
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पुनर्भुगतान अवधि
का विश्लेषण होगा। सरकार चाहती है कि ऐसे उपायों को प्राथमिकता मिले जो कम लागत में अधिक ऊर्जा बचत प्रदान करें।
अधिकारियों का कहना है कि कई सरकारी भवन पुराने होने और उपकरणों के अप्रभावी होने के कारण आवश्यकता से अधिक बिजली खपत कर रहे हैं। इन्हें ठीक करने के लिए रोशनी व्यवस्था, हीटिंग-कूलिंग सिस्टम, भवन प्रबंधन प्रणाली, पंपिंग सिस्टम और अन्य उपकरणों में ऊर्जा दक्ष सुधार लागू किए जाएंगे। तकनीकी सहायता चयनित एजेंसियां ही देंगी।
सरकार का मानना है कि इस बड़े कदम से आने वाले वर्षों में सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये की बचत होगी और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। इसे हिमाचल को ऊर्जा दक्ष राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।



